एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने होम कोरेन्टाइन पर कही ये बात, जानें और उन्होंने क्या-क्या सलाह दी
सेहतराग टीम
कोरोना संक्रमितों को बेहतर सुविधा प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। साथ ही इस दिशा में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार भी नियमित अंतराल पर कोरोना संक्रमण की रोकथाम एवं उपचार के लिए गाइडलाइन्स भी जारी कर रही है। इसी गाइडलाइन में होम आइसोलेशन की बात भी स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से की गई है। इसमें कोरोना के मरीजों को खुद अपने आप को अपने घर में आइसोलेट करना पड़ता है। यह काफी कारगर भी माना जा रहा है, लेकिन इसको लेकर एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया का कुछ और ही मानना है। एक अखबार से बात करते हुए उन्होंने कहा कि पर्याप्त सुविधा ना हो तो होम आइसोलेशन कोरोना मरीजों के लिए खतरनाक भी हो सकता है।
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उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा लगाये गये लॉकडाउन की वजह से कोरोना के मरीजों में काफी हद तक कमी आई है। इसलिए कोरोना की चेेन तोड़ने में लॉकडाउन की काफी ज्यादा मदद भारत सरकार को मिल रही है। उनका कहना है कि इसके बाबजूद मरीजों की संख्या जो बढ़ रही है उसकी वजह ज्यादा चेकअप है। जांच होने वाले सैंपल व उनमें पॉजिटिव पाए जाने वाले मामलों का अनुपात करीब साढ़े चार फीसदी ही हैैै। हिन्दुस्तान में लगातार बढ़ रहे मामलों के बारे में उन्होंने कहा कि हॉटस्पाट एरिया में माइक्रो स्तर पर रणनीति बनाकर काम करना होगा। तभी यहां पर मामले कंट्रोल में आएंगे। कुुछ इलाकों में ज्यादा मामले बढ़ रहे हैं जो चिंता का विषय है। यदि उन इलाकों में आक्रमण तरीके से रणनीति बनाकर काम किया जाए तो बीमारी से जल्द ही छुटकारा पाया जा सकता है।
वहीं उन्होंने इस रणनीति के बारे में बताया कि अधिकतर देखा गया है कि घनी आबादी वाले ही इलाके हॉटस्पाट में हैं। ऐसे में उन इलाकों में घर-घर जाकर सभी लोगों का चेकअप हो और जो संक्रमित पाए जाएं उन्हें आइसोलेशन वार्ड में भेजा जाएं और उनका इलाज किया जाए, ताकि वो लोग और किसी तक यह बीमारी ना पहुंचा पाएं। वहीं ये भी सुनिश्चित करना होगा कि कंटेनमेंट एरिया के लोग दूसरे इलाकों में ना जा पाए। क्योंकि अगर वह दूसरे इलाके में जाते है तो वो भी हॉटस्पाट में बदल जाएगा। ऐसी स्थिति में सभी को रोकना ही सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।
उन्होंने आगे कहा कि ऐसा आकलन किया गया है जून-जुलाई में संक्रमण चरम पर होगा, लेकिन अभी पुख्ता तौर पर कुछ नहीं कह सकते। डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि करीब छह सप्ताह के लॉकडाउन ने देश को तैयारी का पूरा मौका दिया। इस दौरान कोरोना के इलाज के लिए अस्पताल व वेंटिलेटर जैसी जरूरतों को पूरा कर लिया गया और अब जांच भी तेजी से हो रही है। लॉकडाउन के कारण संक्रमण के रफ्तार को कम करने में मदद मिली, लेकिन अब इसका ग्राफ नीचे आना चाहिए था। फिर भी अभी मामले बढ़ रहे हैं। हॉटस्पॉट में आक्रामक तरीके से अभियान चलाया जाए तो संक्रमण की रोकथाम की जा सकती है।
डॉ. गुलेरिया ने कहा कि एक अंतरराष्ट्रीय संस्था के आकलन में यह दावा किया गया है कि देश में जून-जुलाई में मामले बढ़ सकते हैं, लेकिन यह सिर्फ आकलन भर है। कुछ आकलन में कहा गया है कि मई के अंत तक संक्रमण कम हो जाएगा, लेकिन परिस्थतियां बदली हुई नजर आ रही है। अभी मामले अधिक आ रहे हैं, क्योंकि जांचें अधिक हो रही हैं। पहले प्रतिदिन करीब पांच हजार सैंपल की जांच हो पाती थी, लेकिन अब यह आंकड़ा काफी बढ़ चुका है। इसलिए मामले अधिक पकड़ में आ रहे हैं। जांच होने वाले सैंपल व उनमें पॉजिटिव पाए जाने वाले मामलों का अनुपात बहुत ज्यादा नहीं है। यह करीब चार से साढ़े चार फीसद के आसपास है।
वहीं उन्होंने दिल्ली सरकार की तरफ से शुरु की गई होम कोरेन्टाइन सुविधा पर कहा कि अगर पर्याप्त सुविधा नहीं है तो होम कोरेन्टाइन से कोरोना मरीजों को परेशानी हो सकती है। ऐसे में सरकार पहले सभी को सुविधाएं दे उसके बाद होम कोरेन्टाइन की बात को आगे बढ़ाए। वही ये भी देखना होगा कि अगर जो होम कोरेन्टाइन हो रहा है उस घर में कोई बुजुर्ग तो नहीं है, अगर बुजुर्ग है तो उनके लिए खतरा हो सकता है। ऐसी स्थिति में लोग बुजुर्ग को दूर रखे। वो लोगों से सोशल डिंस्टेंसिग में ही बात करें, अगर ऐसा नहीं हो पा रहा है तो वो कोविड कोरेन्टाइन सेंटर में ही रहे। ये उसके लिए भी बेहतर होगा और उसके परिवार और दोस्तों के लिए भी ज्यादा सही रहेगा। वहीं घरों में कई लोग होते हैं, जिन्हे डायबिटीज, हाइपरटेंशन, ब्लड प्रेशर आदि की बीमारी होती है। ऐसे लोग कोरोना मरीज से दूर रहें तो बेहतर होगा।
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